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Matric History Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद Samajwad Evam Samyavad Subjective question class 10th 2024

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Matric History Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद Matric History Chapter 2

1. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता थी । कैसे?

उत्तर⇒ नई आर्थिक नीति में कुछ बातें ऐसी थीं जो समाजवाद से दूर तथा पूँजीवाद के निकट थीं जैसे –(i) किसान अपने अधिशेष उत्पाद का मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था। (ii) केवल सिद्धान्ततः जमीन राज्य की थी जो व्यवहारतः किसान की हो गई। (iii) 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया। (iv) उद्योगों का विकेन्द्रीकरण कर दिया गया तथा निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में काफी छूट दी गई। (v) विदेशी पूँजी भी सीमित तौर पर आमंत्रित की गई। (vi) व्यक्तिगत संपत्ति को मान्यता मिली।
अतः नई मार्क्सवादी आर्थिक नीति मिश्रित अर्थव्यवस्था पर आधारित थी।


2. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी, कैसे?

उत्तर⇒ रूस में बोल्शेविक क्रान्ति के बाद स्थापित साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था बनकर उभरी थी। इस व्यवस्था ने आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में पूँजीपतियों तथा कुलीन वर्ग का प्रभुत्व समाप्त कर दिया। पहले भूमि बड़े भूमिपतियों, जमीन्दारों की निजी सम्पत्ति हुआ करती थी । ये प्रायः विशेषाधिकार प्राप्त कुलीन वर्ग के होते थे। इसी प्रकार उद्योग-धन्धे, फैक्ट्री – कारखाना, आदि भी पूँजीपतियों के निजी सम्पत्ति थे। भूमि एवं उद्योग-धन्धों के निजी सम्पत्ति होने से इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी, सामाजिक हैसियत ऊँची तथा व्यक्तिगत जीवन विलासपूर्ण था।
नई व्यवस्था में कृषि भूमि को राजकीय सम्पत्ति घोषित कर किसानों में बाँट दी गई। किसानों को अतिरिक्त उत्पादन नियत दर पर राज्य को सौंपनी होती थी । उद्योग-धन्धों का भी राष्ट्रीयकरण हो गया। उत्पादन तथा उपभोग की सभी वस्तुओं पर तथा विदेशी व्यापार पर राजकीय एकाधिकार हो गया। उद्योग-धन्धे तथा व्यापार के संचालन हेतु राजकीय तंत्र स्थापित हुए। इस प्रकार, साम्यवाद ने बिल्कुल नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था स्थापित की।


3. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।

उत्तर⇒  रूसी क्रान्ति के दो महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित थे-
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन— यद्यपि 19वीं सदी के मध्य में राजतंत्र की शक्ति सीमित, की जा चुकी थी। रूसी राजतंत्र अपना विशेषाधिकार छोड़ने को तैयार नहीं था। जार निकोलस द्वितीय राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। जार की अफसरशाही अस्थिर और नेतृत्व अकुशल थी। गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गई और जनता की स्थिति बद से बदतर होती गई।
(ii) कृषक के रूप में मजदूरों की दयनीय स्थिति— रूस की बहुसंख्यक जनता कृषक थी जो अपने छोटे-छोटे खेत पर पुराने ढंग से खेती करती थी। दयनीय आर्थिक स्थिति में भी वे करों के बोझ से दबे हुए थे। मजदूरों को कम मजदूरी में अधिक काम करना होता था। अपनी माँगों के समर्थन में वे हड़ताल भी नहीं कर सकते थे। उन्हें कोई राजनैतिक अधिकार प्राप्त नहीं था ।
इस प्रकार रूसी जनता की बदहाली ही क्रान्ति का मुख्य कारण थी।


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4. रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी ?

उत्तर⇒ रूस की जनता में यहूदी, पोल, फिन, उजबेक, तातार कजाक, आर्मीनियन, रूसी आदि जातियों के लोग थे। इनकी भाषा, रस्म-रिवाज आदि भिन्न-भिन्न थे। रूसी बहुसंख्यक होने से सर्वाधिक प्रभावशाली एवं शासक बन गये थे। जार अलेक्जेंडर प्रथम के समय से ही रूसीकरण की नीति अपनाई गई। ‘एक जार एक धर्म’ का नारा तथा सभी पर रूसी भाषा, शिक्षा एवं संस्कृति थोपने का कुत्सित प्रयास भी जारी था। गैर – रूसी जनता का दमन किया गया, सम्पत्ति जब्त की गई तथा अमानुषिक अत्याचार किये गये। ऐसी स्थिति में जार के प्रति विद्रोही होना स्वाभाविक ही था। इन्होंने भी जार के विरुद्ध आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
क्रान्ति के अनेक कारणों में रूसीकरण की नीति भी एक महत्वपूर्ण कारण थी, किन्तु यह पहले से उपलब्ध एक कारण थी न कि तात्कालिक कारण।


5. खूनी रविवार क्या है?

उत्तर⇒ 1905 ई० के रूस-जापान युद्ध में रूस एशिया के एक छोटे-से देश जापान से पराजित हो गया। पराजय के अपमान के कारण जनता ने क्रांति कर दी। 9 जनवरी, 1905 ई० लोगों का समूह प्रदर्शन करते हुए सेंट पिट्सबर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। जार की सेना ने इन निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये। यह घटना रविवार के दिन हुई, अतः इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।


6. पूँजीवाद क्या है?

उत्तर⇒ पूँजीवाद ऐसी राजनैतिक, आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी सम्पत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है।


7. अक्टूबर क्रांति क्या है?

उत्तर⇒ 7 नवम्बर, 1917 ई० में बोल्शेविकों ने पेट्रोग्राद के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलीफोन केन्द्र, कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया। करेन्स्की भाग गया और शासन की बागडोर बोल्शेविकों के हाथों में आ गई जिसका अध्यक्ष लेनिन को बनाया गया। इसी क्रान्ति को बोल्शेविक क्रान्ति या नवम्बर की क्रांति कहते हैं। इसे अक्टूबर की क्रान्ति भी कहा जाता है क्योंकि पुराने कैलेन्डर के अनुसार यह 25 अक्टूबर, 1917 ई० की घटना थी।


8. समाजवाद की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर⇒ समाजवाद के उदय का कारण औद्योगिक क्रांति थी। हालांकि ऐतिहासिक दृष्टि से समाजवाद का विकास दो चरणों में हुई। मार्क्स के पूर्व का समाजवाद एवं मार्क्स के बाद का सामाजवाद यूरोपियन समाजवाद पूराना था। यह समाजवादी आदर्शवादी होते थे। यह समाजवाद कल्पनालोकीय या स्वप्नलोकीय समाजवाद के नाम से भी जाना जाता है। जो व्यवहारिक नहीं थे। वैज्ञानिक समाजवाद वर्ग संघर्ष के माध्यम से उभरा था। इनके विचारवाद प्रतिवाद संश्लेषण पर आधारित था इसलिए एक यथार्थवादी था तो दूसरा आदर्शवादी।


समाजवाद और साम्यवाद प्रश्न उत्तर क्लास 10th बिहार बोर्ड

9. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं?

उत्तर⇒ समाज का वह लाचार वर्ग जिसमें गरीब किसान, कृषक मजदूर, सामान्य मजदूर, श्रमिक एवं आम गरीब लोग शामिल हो उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं । इस वर्ग के लोगों के पास बुनियादी चीजें भी उपलब्ध नहीं होतीं । घनी वर्ग इस वर्ग को उपेक्षित नजरों से देखते हैं।


10. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया, कैसे?

उत्तर⇒ रूसी क्रान्ति के कुछ कारण कई दशकों से विद्यमान थे। रूस में जारशाही बारूद के ढेर पर बैठी थी। बस उस ढेर में चिंगारी लगाने की आवश्यकता थी। यह काम प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने कर दिया।
प्रथम विश्वयुद्ध में रूसी सेना में कृषि तथा उद्योग से जुड़े लोग भी सैनिक कार्य हेतु भेजे गये जिसका प्रतिकूल असर अनाज एवं अन्य उत्पादों पर पड़ा। देश में दुर्भिक्ष की स्थिति हो गई। मोर्चे पर भेजे गये सैनिक भी युद्ध सामग्री और खाद्यान्न के अभाव में बेमौत मर रहे थे। लगभग 20 लाख रूसी सैनिक मारे गये और 50 लाख से भी अधिक घायल हुए। इससे रूसी फौज में भी असंतोष फैल गया। एक तरफ सेना और जनता दुर्भिक्ष की स्थिति के साथ-साथ हार का अपमान झेल रही थी वहीं दूसरी तरफ जारशाही वैभव और विलास का आनन्द ले रही थी। इन्हीं परिस्थितियों में विद्रोहों का सिलसिला शुरू हो गया। सैनिक भी आन्दोलनकारियों के साथ मिल गए और क्रांति सामने नजर आने लगी।


11. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?

उत्तर⇒ क्रांति से पूर्व कृषकों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। वे अपने छोटे-छोटे खेतों में पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का अभाव था। वे करों के बोझ से दबे थे। समस्त कृषक जनसंख्या का एक-तिहाई भाग भूमिहीन था। उनकी स्थिति अर्द्ध दासों जैसी थी।


12. रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। किन्हीं दो उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें।

उत्तर⇒ रूस की क्रांति ने इस प्रकार पूरे विश्व को प्रभावित किया— (i) इस क्रांति ने विश्व को दो विचारधाराओं में बाँट दिया। (ii) इस क्रांति ने आर्थिक नियोजन का नया प्रारूप प्रस्तुत किया, जिसे पूर्ववर्ती देशों ने अपनाना शुरू किया।


13. शीतयुद्ध से आपका क्या अभिप्राय है?

उत्तर⇒ शीतयुद्ध प्रत्यक्ष युद्ध न होकर वाकद्वन्द्व द्वारा एक- दूसरे राष्ट्र को नीचा दिखाने का वातावरण है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूँजीवादी राष्ट्रों और रूस के बीच इसी प्रकार का शीतयुद्ध चलता रहा।


S.N कक्षा 10वीं इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर Matric Subjective Question Answer Bihar Board 2024
1. यूरोप में राष्ट्रवाद
2. समाजवाद एवं साम्यवाद
3. हिंदी-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
4. भारत में राष्ट्रवाद
5. अर्थव्यवस्था और आजीविका
6. शहरीकरण एवं शहरी जीवन
7. व्यापार और भूमंडलीकरण
8. प्रेस सांस्कृति एवं राष्ट्रवाद

S.N Class 10th Question Answer
1. Social Science- सामाजिक विज्ञान
2. Science- विज्ञान
3. English- अंग्रेज़ी
4. Sanskrit- संस्कृत
5. Mathematics- गणित
6. Hindi- वर्णिका भाग 2
7. Hindi- गोधूलि भाग 2
8. Hindi-हिंदी